शनिवार, 15 मार्च 2014

जो टिकट दे उसी के हो लिए नेताजी

एमपी के दलबदलुओं ने टिकट के लिए विचारधारा रखी ताक पर
भोपाल। मध्य प्रदेश में लोग इतनी तेजी से पार्टियां बदल रहे हैं कि विचारधारा कोई मुद्दा ही नहीं रह गया है। खुद को कम्युनिस्ट विचारों का बताने वाले डॉ. भागीरथ प्रसाद भाजपा में जा चुके हैं, भाजपा के सांसद रहे लक्ष्मण सिंह कांग्रेस में लौटने के बाद फिर भाजपा को सांप्रदायिक बताने लगे हैं। विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता रहे चौधरी राकेश सिंह अब भाजपा के बचाव में खड़े हो गए हैं। दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाने वाले गोविंद सिंह के बारे में खबरें तेज हैं कि वे भाजपा में जाने का प्रयास कर रहे हैं और 8 मार्च को उन्होंने अरुण जेटली से मुलाकात की थी।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को अर्जुन सिंह की परंपरा का माना जाता है जो सेकुलरिज्म के मुद्दे पर हिंदुत्ववादियों पर कड़े हमले करते रहे हैं। लेकिन उनके भाई लक्ष्मण सिंह राजगढ़ सीट से भाजपा के सांसद रहे और अब फिर कांग्रेस में हैं। उन्होंने अब भाजपा की सांप्रदायिकता के खिलाफ मोर्चा खोला है। डॉ. भागीरथ प्रसाद ने तो कांग्रेस का टिकट पाने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया। नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे का कहना है, ‘डॉ. भागीरथ प्रसाद से मैंने पूछा था कि आपके भाजपा में जाने की चर्चाएं चल रही हैं, फिर टिकट की बात करें या न करें? उन्होंने कहा था कि मैं कम्युनिस्ट हूं, भाजपा में जाने का सवाल ही नहीं उठता। वे दो दिन पहले तक कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक में आने की हामी भर रहे थे।’ उनकी पत्नी मेहरुन्निसा परवेज कांग्रेस सरकारों के समय कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं और भाजपा की कट्टर आलोचक रही हैं। अब वे नरेंद्र मोदी का बचाव करते दिखाई देंगे।
होशंगाबाद के सांसद उदय प्रताप कभी सुरेश पचौरी के निकट थे। विधानसभा चुनावों के ठीक पहले वह भाजपा में चले गए। भाजपा में जाने के बाद सबसे पहला काम उन्होंने सुरेश पचौरी और कांग्रेस पर हमला करने का किया। उनके सामने भी विचारधारा का कोई संकट नहीं है। अब वे होशंगाबाद से भाजपा का टिकट हासिल करने के प्रयास में हैं। चौधरी राकेश सिंह विधानसभा में कांग्रेस के उपनेता हुआ करते थे। वे विधानसभा चुनावों के पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए और कांग्रेस को खबर तक नहीं हुई। उनके भाई मुकेश चतुर्वेदी अब भाजपा के टिकट पर विधायक हैं। चौधरी राकेश सिंह अब मुरैना से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। वह दिग्विजय धड़े का नाम लिए बिना कहते हैं कि एक खास समूह पार्टी पर काबिज हो गया था और निष्ठावान कांग्रेसियों की उपेक्षा कर रहा था। कांग्रेस में अब एक नया नाम गोविंद सिंह का चल रहा है। दिग्विजय के करीबी गोविंद सिंह के भाजपा में जाने की खबरें गर्म हैं। कहा जा रहा है कि गोविंद सिंह ने 8 मार्च को अरुण जेटली से मुलाकात की थी लेकिन भाजपा के अंदरूनी खेमों से विरोध के कारण उनका कांग्रेस में प्रवेश लटक गया है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें