सोमवार, 2 जून 2014

अब अच्छे दिनों की जुगत में भाजपा नेता!

प्रदेशाध्यक्ष,संगठन महामंत्री,राज्यसभा सांसद,राज्यपाल बनने की जुगत में जुटे नेता
भोपाल। केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के साथ ही कार्यकर्ताओं की उम्मीद अच्छे दिनों की बन चुकी हैं। नरेंद्र सिंह तोमर के केंद्रीय मंत्री बनने के साथ ही प्रदेश भाजपा संगठन में फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। वहीं नया संगठन महामंत्री की भी तलाश शुरू होने वाली है। राज्यसभा की सीट खाली हो रही है जिसकी दावेदारी भी तेज हो गई है। वहीं बहोरीबंद और विजयराघवगढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए उम्मीदवारी के लिए नेताओं की दौड़ शुरू हो गई है। मझौले स्तर के कार्यकर्ता केन्द्रीय समितियों में पद हासिल करने की संभावनाओं को तलाश रहे हैं।
प्रदेश अध्यक्ष के लिए दर्जन भर दावेदार
भाजपा के भीतर इन दिनों कार्यकर्ताओं की उम्मीद सातवें आसमान पर है। एक दशक बाद सत्ता में लौटी पार्टी के सिपाही भी अब अच्छे दिन देखने के लिए तैयारी कर रहे हैं। हर कोई अपनी योग्यता और अनुभव के दम पर पद हासिल करने में लगा है। नरेंद्र सिंह तोमर के केंद्रीय मंत्री बनने के साथ ही प्रदेश भाजपा संगठन में फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा,नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, महिला बाल विकास मंत्री माया सिंह और परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह के साथ प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते,डॉ सत्यनारायण जटिया,जयभान सिंह पवैया,प्रदेश महासचिव नंदकुमार सिंह चौहान और विनोद गोटिया के नाम अगले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के लिए चर्चा में हैं। इनमें से प्रभात झा की चर्चा जोरों पर है। क्योंकि शपथ ग्रहण के दिन राजघाट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा की मौजूदगी से प्रदेश में नए समीकरण की आशा व्यक्त की जा रही है। मोदी और झा को साथ देख कर भाजपा नेताओं के बीच चर्चा है कि अगले प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति सहित प्रदेश संगठन से जुड़े अन्य मामलों में उनकी राय महत्वपूर्ण होगी। उधर,प्रदेश की राजनीति में संघ का दखल हमेशा से रहा है। नए प्रदेशाध्यक्ष को चुनने में भी संघ की भूमिका रहेगी। सीएम शिवराज सिंह चौहान की पसंद का ख्याल रखा जाएगा। यह जोर रहेगा कि नया प्रदेशाध्यक्ष लो-प्रोफाइल हो ताकि सत्ता और संगठन में समन्वय बना रहें। इसके पहले प्रभात झा के प्रदेशाध्यक्ष रहते सत्ता-संगठन में समन्वय नहीं रह पाया था।
उल्लेखनीय है कि झा ने अपने पूर्व कालकाल में प्रदेश संगठन को इतना मजबुत और सक्रिय कर दिया था कि विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में पार्टी को अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ी। उन्होंने प्रदेश भाजपा कार्यालय से लेकर ब्लॉक स्तर तक के पदाधिकारियों को एक सूत्र में पिरोया। यही नहीं उन्होंने आदिवासी और अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों में खुद डेरा डाल कर उन्हें भाजपा से जोड़ा। झा के प्रदेशाध्यक्ष के रूप में की गई मेहनत और अनुभव को देखते हुए पार्टी आलाकमान उन्हें पुन: प्रदेशाध्यक्ष बना सकता है। इनके अलावा कैलाश विजयवर्गीय भी प्रदेश अध्यक्ष के प्रबल दावेदार हैं। उनकी मोदी से भी अच्छी ट्यूनिंग है। लोकसभा चुनाव में मालवा से कांग्रेस का सफाया करने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन आगामी सिंहस्थ को देखते हुए मुख्यमंत्री उन्हें अपनी कैबिनेट में रखना चाहेंगे।
उधर,खबर यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अगले प्रदेशाध्यक्ष के लिए महिला बाल विकास मंत्री माया सिंह का नाम आगे बढ़ाया है। यदि माया सिंह प्रदेशाध्यक्ष बनीं तो यह लगातार चौथी बार होगा कि प्रदेशाध्यक्ष का पद ग्वालियर के खाते में जाएगा। परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री की पसंद बताया जा रहा है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि भूपेंद्र मंत्री पद छोडऩे के मूड में नहीं हैं। प्रदेश महासचिव विनोद गोटिया को संगठन महामंत्री अरविंद मेनन की पसंद बताया जाता है। वहीं, प्रदेश महासचिव नंदकुमार सिंह चौहान भी प्रदेशाध्यक्ष पद के दावेदार के रूप में उभरे हैं। वे प्रदेश भाजपा के सभी गुटों की पसंद हैं।
संगठन महामंत्री के लिए विष्णुदत्त शर्मा का नाम चर्चा में
वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के रास्ते भाजपा में आए विष्णुदत्त शर्मा अब नए ठौर की तलाश में हैं। पांच महीने पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उनकी सेवाएं भाजपा को सौंपी थीं। देश में चुनाव की प्रक्रिया संपन्न होते ही संघ और भाजपा इस बारे में अहम् फैसला करने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा में आने के बाद वीडी शर्मा को पार्टी ने पहला टारगेट झारखंड जाकर चुनावी मैनेजमेंट संभालने का दिया था। वहां पार्टी को मिली जीत के बाद संगठन शर्मा को बड़ी जिम्मेदारी सौंपना चाहता है। अगले पखवाड़े तक इनकी भाजपा में नई भूमिका तय होने की संभावना है। भाजपा की दिल्ली में संपन्न राष्ट्रीय परिषद के दौरान संघ ने मप्र के वीडी शर्मा की सेवाएं भाजपा को सौंपने का फैसला किया था। शुरुआती कुछ दिन शर्मा को छत्तीसगढ़ के संगठन महामंत्री रामप्रताप के साथ सहयोगी की भूमिका में रखा गया। इसके बाद उनकी तैनाती लोकसभा चुनाव में झारखंड कर दी गई। उन्हें झारखंड में बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की जमावट और चुनावी रणनीति बनाकर राज्य की 15 सीटों में से अधिक से अधिक सीटों पर कमल खिलाने की चुनौती दी गई थी। शर्मा ने संगठन के अन्य पदाधिकारियों के साथ मिलकर भाजपा को 12 सीटों पर जीत दिलाई है। अब बेहतर चुनावी नतीजों से उनके नए कार्यक्षेत्र का रास्ता प्रशस्त होगा। संघ और संगठन अब वीडी शर्मा की नई जवाबदारी के बारे में निर्णय करेगा। लंबे समय तक अभाविप में क्षेत्रीय संगठन मंत्री के बतौर कार्यरत रहे शर्मा के नए ठौर का फैसला संघ की ओर से भाजपा का काम देख रहे सह सर कार्यवाह भैयाजी जोशी एवं सुरेश सोनी की सलाह पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और संगठन महामंत्री रामलाल करेंगे। जिन राज्यों के संगठन महामंत्रियों की भूमिकाओं में बदलाव की संभावना है उनमें उप्र, बिहार, राजस्थान, झारखंड, दिल्ली और मप्र का भी जिक्र किया जा रहा है। हालांकि मप्र में अरविंद मेनन को संगठन महामंत्री बने करीब साढ़े तीन साल हो चुके हैं। उनका परफार्मेंस भी काफी सराहा जा चुका है। मेनन 2008 के विधानसभा एवं 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन संगठन महामंत्री माखन सिंह के साथ बतौर सह संगठन महामंत्री के रूप में कार्यरत थे। उनके अलावा भगवत शरण माथुर भी सह संगठन महामंत्री के रूप में यहां तैनात थे। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मप्र में 165 और लोकसभा चुनाव में 27 सीटें जीत कर सभी को चौंका दिया। इस उपलब्धि में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और अरविंद मेनन की प्रमुख भूमिका मानी जा रही है। अब भाजपा को केंद्रीय नेतृत्व चाहता है की मेनन की सेवाएं मुख्य संगठन में लिया जाए। ऐसे में मप्र की राजनीति को भलीभंाति समझने वाले शर्मा को प्रदेश संगठन महामंत्री बनाया जा सकता है। प्रदेश संगठन का कार्यकाल 3 महीने बाद तीन साल होने पर खत्म होना है। ऐसे में तोमर को बरकरार रखा जा सकता है। पार्टी के संविधान के मुताबिक तोमर अपनी जगह कार्यकारी अध्यक्ष बना सकते हैं। इस बीच नगरीय निकाय चुनाव भी हो जाएंगे। अभी नया अध्यक्ष बनाने पर 6 महीने बाद वापस से चुनने की प्रक्रिया अपनानी होगी।
राज्यसभा के लिए दावेदारी मंडला में फग्गन सिंह कुलस्ते के सांसद बनने के बाद प्रदेश से राज्यसभा की एक सीट खाली हो रही है। जिसके लिए प्रदेशभर से दावेदार हाईकमान की शरण में पहुंच चुके हैं। पूर्व सांसद कैलाश जोशी,रघुनंदन शर्मा, अनुसुइया उइके,भाजपा के प्रदेश महामंत्री विनोद गोटिया और जबलपुर से अजय विश्नोई भी इस दौड़ में है। जोशी के नाम की संभावना इस खाली सीट को भरने के लिए सर्वाधिक जताई है। इसके पीछे पार्टी नेताओं की दलील है कि भोपाल से लोकसभा का चुनाव इस बार कैलाश जोशी ने संगठन के कहने पर नहीं लड़ा। इसलिए राज्यसभा भेजकर इनको नवाजा जा सकता है। इसके अलावा रघुनंदन शर्मा का भी राज्यसभा की इस खाली सीट के वास्ते लिया जा रहा है। इस मामले में पार्टी नेताओं का कहना है कि रघुनंदन शर्मा का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने पर दोबारा यह कहकर राज्यसभा नहीं भेजा था कि उनको मंदसौर से पार्टी लोकसभा का चुनाव लड़वा सकता है। शर्मा लोकसभा का चुनाव लडऩे की इच्छा जताई थी, लेकिन पार्टी ने मंदसौर सीट पर लोकसभा चुनाव में रघुनंदन शर्मा को उम्मीदवार नहीं बनाया। इस वजह से राज्यसभा में दोबारा भेजकर उनकी नाराजगी को दूर किया जा सकता है। विनोद गोठिया प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन के करीबी माने जाते हैं, इसलिए उम्मीद जताई जा रही है कि राज्यसभा के लिए इनकी भी लॉटरी लग सकती है। इधर छिंदवाड़ा की अनुसुइया उइके पहले भी राज्यसभा सदस्य रह चुकी हैं। इसलिए इनका नाम भी इस बार राज्यसभा की इस खाली सीट को भरने के वास्ते लिया जा रहा है। पार्टी नेताओं का कहना है कि किसी बड़े नेता को संगठन बाहर से लाकर राज्यसभा की इस खाली सीट को भरवा सकता है। हालांकि इसकी संभावना कम है, लेकिन पार्टी के नेता इस आशंका से भी भयभीत हैं।
विधानसभा की तीन सीटों पर दावेदारों की सक्रियता प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों पर आसन्न उपचुनाव को लेकर भाजपा में सुगबुगाहट शुरू होने लगी है। लोकसभा चुनाव के दौरान विजयराघौगढ़ से कांग्रेस विधायक संजय पाठक ने भाजपा की सदस्यता लेकर विधानसभा सीट छोड़ दी थी, जबकि बहोरीबंद की सीट भाजपा विधायक प्रभात पाण्डे के असमय निधन से रिक्त हुई है। आगर से भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल अब देवास शाजापुर सीट से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। इसलिए इन तीनों सीटों पर उपचुनाव की स्थिति बन गई है। मैहर से कांग्रेस विधायक नारायण त्रिपाठी और जतारा के दिनेश अहिरवार भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने का ऐलान कर चुके हंै लेकिन दोनों ने ही विधानसभा की सदस्यता नहीं छोड़ी है। इन सीटों के बारे में अभी निर्णय होना बाकी है। पांडे के पुत्र का नाम बहोरीबंद में पार्टी के सामने दिवंगत विधायक प्रभात पांडे के पुत्र प्रणय पांडे का नाम विचार में है। पांडे के पुत्र को लेकर पार्टी में यह माना जा रहा है कि क्षेत्र में उसके प्रति संवेदना का भाव है। फिलहाल जबलपुर जिले में चुनाव हार चुके अजय विश्रोई भी बहोरीबंद के लिए लॉबिंग कर रहे हंै। सत्ता और संगठन स्तर पर वह अपने नाम पर विचार करने का आग्रह कर चुके हंै। उनके अलावा विनोद गोंटिया भी दावेदारी रख रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अभी इस दिशा में विचार विमर्श होना बाकी है। विजयराघौगढ़ के लिए भी भाजपा में क्षेत्रीय नेता दावेदारी जता रहे हैं। इस बात की संभावना है कि वहां संजय पाठक ही भाजपा के स्वाभाविक प्रत्याशी होंगे। उधर लोकसभा चुनाव के नतीजे आते ही आगर क्षेत्र के अनेक नेता अपने स्तर पर सक्रिय हो गए हंै।
बुजुर्ग लीडर बनाए जाएंगे राज्यपाल कांग्रेस नेतृत्व की कृपा के कारण राजभवन में पदस्थ आधा दर्जन से ज्यादा राज्यपालों को जाना पड़ सकता है। उनके स्थान पर भाजपा के कुछ बुजुर्ग नेताओं के साथ-साथ पुराने नौकरशाहों को जगह मिल सकती है। ऐसे मोदी लहर में किनारे कर दिए गए कई बुजुर्ग नेताओं को भी अपनी सरकार बनने का फायदा मिलने की उम्मीद है। इसमें मप्र के दो पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी और सुन्दरलाल पटवा का नाम सबसे ऊपर है इनके अलावा कैलाश सारंग,विक्रम वर्मा और लक्ष्मीनारायण पांडे का नाम चर्चा में है। वहीं अन्य राज्यों से कल्याण सिंह, विजय कुमार मल्होत्रा, यशवंत सिन्हा, लालजी टंडन समेत कई अन्य नेता शामिल हो सकते हैं। सरकार में परिवर्तन के साथ यूं तो अलग-अलग राज्यों के राजभवन में भी बदलाव होता रहा है। इस बार भी कई राज्यपाल पहले से ही इस्तीफा देने की तैयारी में हैं। ऐसे में केंद्र सरकार के लिए उन्हें हटाने की जहमत नहीं उठानी होगी। खबर है कि लगभग आठ राज्यपाल जल्द ही बदले जा सकते हैं। जिन राज्यों के राज्यपाल बदले जाएंगे पार्टी वहां अपने नेताओं को एडजस्ट करेगी। सूत्रों की मानी जाए तो भाजपा के कुछ बुजुर्ग नेता राज्यसभा में जाने का मन बनाए हुए हैं। जहां तक मप्र का सवाल है तो यहां इस बार एक ही सीट खाली है। और उसके लिए दर्जन भर नेता लॉबिंग कर रहे हैं। इसलिए पार्टी बुजुर्ग नेताओं को राज्यपाल बनाकर उनको सम्मान देना चाहती है।
केन्द्रीय समितियों के लिए सिफारिश केन्द्र की ओर से कई समितियों में स्थानीय नेताओं को नियुक्त किया जाता है। रेलवे, बीएसएनएल, रक्षा, यूजीसी, तकनीकी संस्थान आदि में सलाहकार सदस्यों की नियुक्ति होती है। मंत्रालय स्थानीय लोगों को इसमें शामिल करता है। भाजपा के कई नेता अब अपने आकाओं के पास समितियों में जगह पाने के लिए पहुंच रहे हैं। हर कोई किसी न किसी पद को हासिल कर अपनी निष्ठा का ईनाम हासिल करना चाहता है। एटॉर्नी जनरल, सॉलीसिटर जनरल, एडीशनल सॉलीसिटर, असिस्टेंट सॉलीसिटर और केन्द्र की स्टेंडिंग काउसिंल में जाने के लिए जमीन तैयार की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों से संघ और पार्टी से जुड़े कई वरिष्ठ वकील इस संबंध में मंत्रणा भी कर रहे हैं।
ललचा रहे सत्ता-संगठन के खाली पद लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के बाद अब मप्र में सत्ता-संगठन के खाली पदों को लेकर नेताओं की गणेश परिक्रमा शुरू हो गई है। संगठन में उपाध्यक्ष और महामंत्री सहित 7 वरिष्ठ पदाधिकारियों के पद रिक्त पड़े हैं। शिवराज कैबिनेट में भी 11 मंत्रियों के लिए जगह है। प्रदेश में आसन्न सहकारिता एवं नगरीय निकाय चुनाव के मद्देनजर संगठन की नियुक्तियां जल्दी होने की संभावना है। पार्टी में तीन उपाध्यक्ष एवं दो महामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद खाली पड़े हैं। इनमें उपाध्यक्ष यशोधरा राजे सिंधिया, महामंत्रीद्वय माया सिंह व लालसिंह आर्य ग्वालियर-चंबल संभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए पार्टी का प्रयास है कि इन पदों पर उसी क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपाइयों की ताजपोशी कर दी जाए। इसी तरह उपाध्यक्षद्वय भूपेन्द्र सिंह एवं डॉ. गौरीशंकर शेजवार के सत्ता में शामिल हो जाने की वजह से उनके स्थान पर बुंदेलखंड एवं भोपाल संभाग को प्रतिनिधित्व मिलने की संभावना है। उधर शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी भी पार्टी के युवा एवं खेल प्रकोष्ठ के संयोजक हैं, इस प्रकोष्ठ में भी किसी नए ऊर्जावान युवा को बिठाने की तलाश चल रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मौजूदा पदाधिकारियों के क्षेत्र से निर्वाचित विधायक, सांसद एवं वरिष्ठ भाजपाइयों को एडजस्ट किए जाने की संभावना है। सितंबर-अक्टूबर में सहकारिता एवं नवंबर-दिसंबर तक नगरीय निकायों के चुनाव होने की संभावना है। इसलिए लोकसभा चुनाव से फारिग होते ही भाजपा स्थानीय चुनावों के लिए तैयारी करेगी। इसके पहले ही संगठन के खाली पदों के लिए नए नेताओं का मनोनयन किए जाने के संकेत हैं। इसलिए इन क्षेत्रों के दिग्गज नेताओं ने अपने लिए लॉबिंग शुरू भी कर दी है। कई नेता तो लोकसभा चुनाव के दौरान लखनऊ, बनारस एवं झांसी तक की फेरी लगाकर वरिष्ठ नेताओं के सामने अपनी-अपनी हसरत जता चुके हैं। मंत्रिमंडल में जगह इसी तरह शिवराज मंत्रिमंडल में 10-11 नए लोगों की संभावना देख अनेक विधायक जोड़-तोड़ में जुट गए हैं। हालांकि मंत्रिमंडल के विस्तार की अभी जल्दी ही संभावना नहीं है लेकिन दावेदार अभी से गणेश परिक्रमा में जुट गए हैं।