शुक्रवार, 14 मार्च 2014

यूथ के लिए फोकस किया सोशल साइट्स पर

इस बार के लोकसभा इलेक्शन में वोट डालने को लेकर दस करोड़ से ज्यादा एफटीवी यानी फर्स्ट टाइम वोटर्स उत्साहित हैं। इनमें ज्यादातर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर एक्टिव है। कई यूजर तो फेसबुक और ट्विटर पर पॉलिटिकल बातें और आपस में डिबेट भी कर रहे हैं। बहुत से वोटर्स ने अपनी फेसबुक टाइमलाइन में पॉलिटिक्स से रिलेटेड मैटर पोस्ट कर रखे हैं। जिस तरह सोशल मीडिया पर पॉलिटिकल पार्टियों की एक्टिविटीज दिखाई दे रही है, उससे साफ है कि चुनावों में इसका खासा उपयोग होने वाला है। पार्टियां अपनी योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही अन्य पार्टियों पर हमला करने के लिए सोशल साइट्स को प्लेटफॉर्म बना चुकी हैं। इससे साफ है कि इस चुनाव में सोशल नेटवर्किंग साइट्स का प्रभाव देखने को मिलेगा। सभी पार्टियों के आईटी सेल मध्यप्रदेश में सोशल मीडिया पर नजर रखने और समय-समय पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए दोनों बड़ी पार्टियों भारतीय जनता पार्टी और कांग्र्रेस खूब मेहनत कर रही है। इसके लिए भोपाल में अलग से आईटी सेल बनाए गए हैं, जिसमें बैठे कई टेक्निकल एक्सपर्ट सोशल साइट्स पर चल रही बातों पर ध्यान लगाए हुए हैं। जरूरत पड़ने पर हाथो-हाथ अपने व्यू भी रख रहे हैं। यहीं नहीं फेसबुक और वॉट्सएप पर कई ऐसे गु्रप बना लिए गए हैं, जिससे हजारों लोगों को जोड़ा जा रहा है। फेसबुक पर कई तरह की ऐसी सामग्री पोस्ट की जा रही है, जिससे हर वर्ग के यूजर का ध्यान जा रहा है। फेसबुक पेज पर सभी पार्टियां अपने मुद्दे भुनाने के लिए अन्य पार्टियों पर सोशल वार भी कर रही है, जिसका जवाब देने के लिए कांग्रेस पार्टी ने तो कांग्रेस एमपी वार रूम मीडिया नाम से बनाकर रखा है। यूथ वोटर पर ही ध्यान सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर यूथ की संख्या ज्यादा है, इसलिए सभी पार्टियां इन्हें अपने गु्रप और पेज से जोड़ने के लिए कई तरह के प्रयास कर ही है। सभी अपने पेज पर ज्यादा लोगों की संख्या दिखाना चाहते हैं इसलिए कई यूजर को पेज से जुड़ने के लिए आगे बढ़कर निमंत्रण दिया जा रहा है। दलों ने अपने छात्र संगठनों के नेताओं को भी कहा है कि ज्यादा से ज्यादा स्टूडेंट्स को पार्टी के सोशल नेटवर्किंग साइट्स से जोड़े। हालांकि कई यूजर पॉलिटिक्स पेज पर इसलिए जुड़ना नहीं चाहते है, क्योंकि बार-बार की पोस्ट से वे डिस्टर्ब होते हैं। नोटिफिकेशन को देखने में उनका समय खराब होता है। सांसद के फेसबुक पर जगह नहीं पार्टियों में कई नेता ऐसे है, जिनकी फेसबुक प्रोफाइल में फ्रेंड्स की संख्या हजारों में पहुंच गई है। एक लिमिट के बाद यूजर फ्रेंड रिसिव नहीं कर सकते। इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन की फेसबुक प्रोफाइल पर यूजर को जोड़ने की लिमिट खत्म हो गई हैं। ताई के नाम से फेसबुक पर एक पेज भी बना है, लेकिन इससे जुड़ने वाले यूजर की संख्या मात्र 481 है। इनकी पोस्ट पर वार कांग्रेस की ओर से इस बार के लोकसभा उम्मीदवार सत्यनारायण पटेल की फेसबुक प्रोफाइल पर भी 4769 यूजर जुड़े है। एक तरह से इनके अकाउंट में भी नए यूजर जुड़ने के चांस कम ही है। इनके प्रोफाइल सामने वाली पार्टी के उम्मीदवार पर वार करने वाली पोस्ट भी दिखाई दे रही है। सत्यनारायण पटेल के नाम से फेसबुक पर एक पेज भी बना हुआ है। ये खासकर लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए बनाया गया है। इस पेज को 972 यूजर ने लाइक किया है। सोशल मीडिया में चुनाव इस बार लोकसभा इलेक्शन में 80 करोड़ से ज्यादा वोटर्स हैं। खास बात यह है कि पहली बार वोट का अधिकार प्राप्त करने वालों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है। देश में 9 करोड़ से कहीं ज्यादा लोग सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ये 9 करोड़ लोग इस इलेक्शन में बड़ा रोल निभा सकते हैं। सर्वे के अनुसार, एक तिहाई से ज्यादा सोशल मीडिया यूजर्स 5 लाख से कम पॉपुलेशन वाली सिटीज में रहते हैं, जबकि 25 परसेंट से ज्यादा सोशल मीडिया यूजर्स 2 लाख से कम पॉपुलेशन वाले शहरों के हैं। ऐसा माना जा रहा है कि सोशल मीडिया पर एक्टिव यूजर्स न केवल खुद बड़ी भूमिका निभाएंगे, बल्कि वे अपने आसपास के वोटरों को भी प्रभावित कर सकते हैं। - सोशल मीडिया पर साथियों, दोस्तों की सिफारिशें काफी प्रभावित होती हैं। ह्यश्रष्द्बड्डद्यठ्ठश्रद्वद्बष्ह्य.ठ्ठह्ल के मुताबिक, 90 फीसद कंज्यूमर इन पर भरोसा करते हैं। ये सिफारिशें वोटर्स के फैसले को प्रभावित कर सकती हैं। - एक्सपर्ट के अनुसार एक सोशल साइट्स यूजर अपने घर में कम से कम तीन लोगों को प्रभावित कर सकता है। एक स्टडी के अनुसार 2009 लोकसभा इलेक्शन में कांग्रेस के खाते में गई 75 सीटें ऐसी हैं, जिनका फ्यूचर सोशल मीडिया के असर से अछूता नहीं रह सकता। इसी प्रकार से बीजेपी के कब्जे वाली 44 सीटें सोशल मीडिया की मुट्ठी में हैं। यह भी माना जा रहा है कि इलेक्शन से ठीक 48 घंटे पहले जब चुनाव प्रचार पर रोक लग जाएगी, तब सोशल मीडिया बड़ी भूमिका निभाएगा। यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा ने सोशल मीडिया के लिए भारी-भरकम टीम जुटा रखी है। भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी खुद ट्विटर पर एक्टिव हैं और करीब 9 भाषाओं में ट्वीट करते हैं। इतना ही नहीं, मोदी ने बेंगलुरु से आईटी के एक्सपर्ट अपनी टीम में बुलाए हैं, जिन्हें लाखों का पैकेज दिया जा रहा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार सोशल साइट्स पर एक्टिव यूथ और वोटर्स को ध्यान में रखकर आजकल ज्यादातर पॉलिटिकल पार्टीज सोशल साइट्स के जरिए लोगों से जुड़ने का प्रयास कर रही हैं, वहीं वोटर्स भी पॉलिटिक्स और इलेक्शंस से अपडेट रहने के लिए डिजिटल वर्ल्ड का ज्यादा सहारा ले रहे हैं। फेसबुक का असर 2014 लोकसभा इलेक्शन में टोटल 543 सीटों में से कम से कम 160 का फ्यूचर सोशल मीडिया से तय होगा। आईआरआईएस ज्ञान फाउंडेशन और इंडियन इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन द्वारा कराई गई इस स्टडी की मानें तो सोशल मीडिया के जरिए सीटों पर सबसे ज्यादा महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स में पड़ेगा। महाराष्ट्र की 21 लोकसभा सीटें सोशल मीडिया के प्रभाव में हैं, जबकि गुजरात की 17, उत्तर प्रदेश में 14, कर्नाटक में 12, तमिलनाडु में 12, आंध्र प्रदेश में 11, केरल में 10 और एमपी की 9 सीट पर सोशल मीडिया फैक्टर असर दिखा सकता है। इस स्टडी में 67 सीटों की अत्यधिक प्रभाव वाली, जबकि शेष सीटों की कम प्रभाव वाली सीटों के रूप में पहचान की गई है। सबसे अधिक प्रभाव वाली सीट से आशय उन सीटों से है, जहां पिछले लोकसभा इलेक्शन में विजयी उम्मीदवार के जीत क ा अंतर फे सबुक क ा प्रयोग करने वालों से कम है या जिन सीटों पर फेसबुक का प्रयोग करने वालों की संख्या कुल वोटर्स की संख्या का 10 फीसद है। एक स्टडी यह भी सोशल बिजनेस इंटेलिजेंस कंपनी सिंप्लीफाई 360 का दावा है कि इंडिया में 24 फीसद वोटर्स सोशल मीडिया पर हैं। भारत में 31 फीसद ट्विटर यूजर्स ने माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट पर पॉलिटिकल पर ट्वीट पढ़ा है। 2009 में कांग्रेस को कुल पड़े मतों में से 28.6 फीसद वोट मिले थे। ऐसे में 24 फीसद वोटर्स की सोशल मीडिया पर मौजूदगी आने वाले लोकसभा चुनाव में पासा पलटने के लिए काफी है। लोकसभा चुनाव तैयारी के लिए पार्टी का आईटी सेल काम कर रहा है। यह हर पल सोशल साइट्स पर होने वाली एक्टिविटीज को देख रहा है और समय-समय पर पार्टी की ओर से जानकारी या बयान जारी कर रहा ह। अन्य पार्टियों द्वारा लगाए जाने वाले इल्जाम का जवाब भी हाथो-हाथ दिया जा रहा है। - नरेंद्र सलूजा, प्रवक्ता, मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी पार्टी का खुद का आईटी सेल सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स पर एक्टिव है। जरूरत पड़ने पर कई तरह की जानकारी डाली जा रही है, जिससे वोटर सहीं फैसला ले सके। अन्य पार्टी को जवाब देने के लिए आईटी सेल तैयार रहता है। - अलोक दुबे, संभागीय प्रवक्ता, मध्यप्रदेश भाजपा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें