शुक्रवार, 14 मार्च 2014

एमपी साल भर का सैंटा क्लॉज

एमपी के फंड से नए प्रोजेक्ट बन सकते हैं, लेकिन रिपेयर वर्क नहीं
लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सांसद के फंड से कौन कौन से काम हो सकते हैं, कहां वे अपना फंड इस्तेमाल कर सकते हैं या कहां नहीं कर सकते। अधिकतर वोटरों की इसकी जानकारी नहीं है। कई बार फंड को लेकर भी लोगों में बड़ा कंफ्यूजन रहता है। फंड को लेकर केंद्र सरकार की ओर से गाइड लाइंस भी जारी की गई हैं। सांसद अपने एरिया में किसी भी एजेंसी से कोई भी नया काम करा सकता है, लेकिन मेनटेनेंस और रिपेयर का काम सांसद के फंड से नहीं किया जा सकता है। केवल नए काम ही सांसद के फंड से कराए जा सकते हैं। सांसद फंड अवैध कॉलोनियों में नहीं लगाया जा सकता।
फंड के लिए गाइड लाइंस
सांसद फंड का इस्तेमाल अपने लोकसभा क्षेत्र में कहीं भी कर सकता है, जबकि राज्य सभा और लोकसभा में मनोनीत सदस्य पूरे देश में कहीं भी काम करा सकते हैं। सांसद को फंड का 15 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जातियों के रिहायशी क्षेत्र और 7.5 फीसदी हिस्सा (37.5 लाख) अनुसूचित जनजाति इलाकों में खर्च करना जरूरी है।
5 करोड़ का फंड
सांसद भी लोगों के बीच रहता है और उनकी समस्याओं को सुनता है, इसलिए 1993 और 1994 में सांसद फंड की शुरूआत हुई। तब सांसद फंड केवल 5 लाख रुपये था। 1995-96 में यह फंड बढ़ाकर 1 करोड़ कर दिया गया। 1999-98 में 2 करोड़ और 2011-12 से इसे बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया गया। फंड के खर्च, निगरानी व विभागों के बीच तालमेल करने के लिए एक नोडल ऑफिसर की अपॉइंटमेंट की गई है।
पार्क से ब्रिज तक
इंटरनैशनल बॉर्डर से 8 किलोमीटर के भीतर के दायरे में किसी भी नदी से सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण की स्कीम के लिए भी सांसद फंड का इस्तेमाल किया जा सकता है। रेलवे हॉल्ट, पार्क, बारातघर, रेलवे अंडर ब्रिज, नई सड़क, जैसे काम भी सांसद फंड से कराए जा सकते हैं।
सबके काम का फंड
एमपी फंड के इस्तेमाल के लिए मिनिमम राशि 1 लाख से कम नहीं होनी चाहिए। विकलांग व्यक्तियों की सहायता के लिए एमपी फंड से 10 लाख रुपये तक मिल सकते हैं, लेकिन यह फंड उनके लिए तीन पहियों की साइकल (बैटरी चलित या मैनुअल) या कृत्रिम अंगों के लिए ही खर्च की जा सकती है। स्कूल, कॉलेजों और लाइब्रेरी में किताबें खरीदने के लिए 22 लाख तक की राशि एमपी फंड से इस्तेमाल हो सकती है। सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त एजुकेशन इंस्टिट्यूटों के लिए भी एमपी फंड खर्च किया जा सकता है।
आरटीआई का साथ
सांसद द्वारा तय किया गया कोई भी काम उसकी सहमति के बिना नहीं बदला जाएगा। अगर नोडल ऑफिसर को लगता है कि यह काम नहीं हो सकता तो उसे सांसद, केंद्र सरकार और राज्य सरकार को प्रस्ताव की तारीख के 45 दिन के अंदर यह बात बतानी होगी। अगर तय प्रस्तावों से ज्यादा प्रस्ताव कामों के आ जाते हैं तो पहले आओ पहले पाओ के नियम के तहत काम किए जाएंगे। एमपी फंड के इस्तेमाल की जानकारी आरटीआई के जरिए भी मांगी जा सकती है।
डिजास्टर में हेल्प
अगर प्राकृतिक आपदा आ जाती है जैसे तूफान, बाढ़, बादल फटना, भूकंप, ओला, हिमस्खलन, कीट हमला, भूस्खलन, तूफान, फायर, रेडियालॉजी खतरा होने पर एमपी अपने फंड से हर साल 10 लाख रुपये तक दे सकता है। देश के किसी भी हिस्से में गंभीर आपदा आने पर सांसद फंड से अधिकतम 50 लाख रुपये तक दे सकता है। एमपी फंड को इस्तेमाल करने के लिए ग्रामीण इलाकों में पंचायती राज संस्थाएं, शहर में नगर निगम, नगर पालिका जैसी एजेंसियां काम करती हैं।
कब मिलता है फंड
3 महीने तक सांसद को कोई भी राशि नहीं मिलती है। 9 महीने तक सालाना आवंटन की 50 फीसदी राशि मिलती है। 9 महीने के बाद सालाना आवंटन की 100 फीसदी राशि जारी की जाती है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें