शनिवार, 31 मई 2014

हार के लिए युवा कांग्रेस-एनएसयूआई भी जिम्मेदार !

प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं ने राहुल गांधी को भेजा पत्र
भोपाल। प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के लिए युवा कांग्रेस और एनएसयूआई को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ पदाधिकारियों का कहना है कि जब से दोनों संगठनों में चुनाव की प्रक्रिया लागू हुई है तब से कांग्रेस को कोई फायदा मिला हो ऐसा नजर नहीं आया। पहले इन संगठनों में मनोनयन के आधार पर नियुक्तियां होती थी जो उचित थी, लेकिन अब चुनाव की वजह से ऐसे नेता चुनकर आने लगे जिनका जमीनी आधार कमजोर है। इसलिए पार्टी के कुछ नेताओं ने दोनों संगठन में चुनाव के संबंध में वे अपनी आपत्ति कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष पत्र लिखकर दर्ज कराया है। वैसे तो किसी भी चुनाव में जीत और हार के कई कारण शामिल रहते हैं, लेकिन जब कोई पराजित होता है तो पार्टीजनों के सहयोग न मिलने व भितरघात को एक प्रमुख कारण मानता ही है, लेकिन पार्टी के कुछ नेता विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस की पराजय की एक वजह एनएसयूआई और युकां के चुनाव को भी मानते हैं। नेताओं का कहना है कि दो साल पहले जब चुनाव हुए थे तब यह लगा था कि जो नेता चुनकर आए हैं वे कुछ कर दिखाएंगे लेकिन गांव और ब्लाक स्तर पर पैठ जमाने के दावे हवा हो गए। धीरे-धीरे यह भी साफ हो गया कि लोगों को सदस्य बनाकर चुनाव लडऩे वाले नेता जमीनी नहीं थे। फिलहाल इन दोनों संगठनों में चुनाव की हलचल तेज हो गई है। दिल्ली में युकां और एनएसयूआई की बैठकों का दौर चल रहा है। एनएसयूआई के चुनाव तो नवम्बर में हुए विधानसभा चुनाव से ही पहले ही हो जाने थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के हो जाने के बाद भी चुनाव नहीं हो पाए हैं। फिलहाल दोनों संगठनों के नेता चुनाव संबंधी गतिविधियों के चलते कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। युकां नेताओं में से एक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मंशा चुनाव कराने की ही है, लेकिन प्रदेश में चुनाव के विरोध को देखते हुए युकां व एनएसयूआई का चुनाव होगा या नहीं इसे लेकर गतिरोध कायम हो सकता है। मनोनयन होना चाहिए कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि एक बार राहुल गांधी के समक्ष युकां और एनएसयूआई चुनाव को लेकर कुछ नेताओं ने अपनी आपत्ति जताई थी। उनका कहना है कि जो साधन-संपन्न है वे चुनाव जीतकर नेता तो बन जाते हैं लेकिन असली नेता वही होता है जो जनता के बीच से चुना जाता है। अब तक नहीं दिखा फायदा चुनाव में जीतकर आने वाले नेताओं से पार्टी को कोई फायदा मिला हो ऐसा अब तक तो नजर नहीं आया है। पहले युवा कांग्रेस और एनएसयूआई से जुड़े लोग जनहित से जुड़ी समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करते थे तो विसंगतियों के खिलाफ एक माहौल तैयार हो जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होता। जो लोग अपने प्रबंधन से चुनाव जीतकर नेता बनते हैं उनमें संघर्ष का माद्दा ही कमजोर होता है। इनका कहना है -युकां के चुनाव होने से जमीनी और मेहनती कार्यकर्ता को अपनी ताकत दिखाने का मौका मिला है। प्रदेश में युकां ने हर स्तर पर धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करके सरकार के खिलाफ अभियान चलाया है। कुणाल चौधरी,प्रदेशाध्यक्ष युकां -चुनाव होने से संगठन में ताकत आई है। एनएसयूआई ने अपने स्तर पर खुब काम किया है। विपिन वानखेड़े,प्रदेशाध्यक्ष भाराछासं

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