शुक्रवार, 15 मई 2015

परफार्मेंस की पटरी से उतरे मंत्रियों और पदाधिकारियों की होगी छुट्टी!

भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में संगठन की नेताओं की खरी-खरी
चाल-चरित्र के लिए सत्ता और संगठन में बदलेंगे चेहरे
भोपाल। भाजपा कार्यालय में 9 और 10 अप्रैल को आयोजित प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में ऊपरी तौर पर तो संगठन ने अपनी आगामी कार्यक्रमों पर चिंतन-मनन किया, लेकिन अंदरूनी खबर यह है कि केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर उपस्थित केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मप्र के नेताओं की जमकर क्लास ली और नसीहतों की घूंटी पिलाई। जेटली ने बैठक में इस बात पर चिंता जाहिर की कि यहां के अधिकांश नेताओं, खासकर पदाधिकारियों और मंत्रियों की परफार्मेंस खराब है। उन्होंने साफ लहजे में कह दिया की परफार्मेंस की पटरी से उतरे मंत्रियों और पदाधिकारियों की होगी छुट्टी लगभग तय है! जेटली के बाद संगठन महामंत्री रामलाल ने भी समझाइस दी की पद के पीछे भागने और लक्ष्मण रेखा लांघे वालों को कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाएगी। संगठन और संघ से मिली हिदायतों और नसीहतों के बाद मंत्री और पदाधिकारी सकते में हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में अरूण जेटली का शामिल होना ही मप्र भाजपा के नेताओं के लिए चिंता का विषय बना हुआ था। क्योंकि 2003 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती के साथ मिलकर भाजपा को जीताने के बाद से ही जेटली मप्र के परिदृश्य से गायब से हो गए थे। फिर करीब 11 वर्ष बाद प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में जेटली का शामिल होना इस बात का संकेत था कि वे कुछ गंभीर मसलों पर चर्चा करने वाले हैं। फीडबैक लेकर गए जेटली और रामलाल पार्टी सूत्रों का कहना है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपनी टीम के पुनर्गठन पर विचार कर रहे हैं। शाह राज्यों से मिले फीडबैक की समीक्षा के बाद अपनी टीम नई सिरे से बनाएंगे। इसलिए मप्र से फीडबैक लेने के लिए उन्होंने अरूण जेटली और रामलाल को भेजा था। साथ ही इन दोनों नेताओं को जिम्मेदारी दी गई थी कि वे केंद्रीय संगठन, संघ और सरकार की हिदायतों को भी मप्र के नेताओं को दे दें, ताकि पार्टी के चाल, चेहरा और चरित्र पर कोई आंच न आएं। उल्लेखनीय है कि भाजपा के केंद्रीय संगठन से कई पदाधिकारियों के मंत्री बन जाने के कारण पदाधिकारियों के एक तिहाई पदों पर नई नियुक्तियां की जानी हैं। पिछले महीने हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा की समन्वय समिति की बैठक में भाजपा संगठन में राष्ट्रीय स्तर पर खाली पड़े पदों का मुद्दा भी चर्चा में आया था। सूत्रों के अनुसार संघ नेतृत्व को बताया गया था कि कार्यकारिणी की बैठक के बाद सभी पदाधिकारियों के तय कर लिए जाएंगे। लेकिन पार्टी नेतृत्व चाहता है कि वह राज्यों से इस बात का फीडबैक ले की संगठन में कैसे नेता होने चाहिए और इसके लिए कौन उपयुक्त है। इसलिए बैठक के दौरान जहां इन दोनों नेताओं ने पदाधिकारियों को पार्टी की गाइड लाइन के अनुसार काम करने को कहा, वहीं प्रदेश के कई नेताओं के बार में जानकारी भी ली। जेटली ने बैठक के दौरान जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जमकर तारीफ की और अन्य नेताओं को उनके जैसा बनने और कुछ करने को कहा, वहीं फिसड्डी नेताओं को जमकर कोसा भी। इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्रीय संगठन हो या फिर प्रादेशिक संगठन इनमें काम करने वाले जुझारू नेताओं को ही शामिल किया जाएगा। पिछली कार्यसमिति की बैठकों का लिया हिसाब भाजपा की दो दिनी प्रदेश कार्यसमिति में प्रदेश प्रभारी एवं वरिष्ठ नेताओं ने कार्यकर्ताओं को पार्टी लाइन, अनुशासन एवं आचार संहिता की नसीहतें तो दीं। लेकिन केंद्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने तो पदाधिकारियों से पिछली कार्यसमिति की बैठकों का लेखाजोखा मांग कर उन्हें हैरानी में डाल दिया। बताते हैं कि पिछली कार्यसमिति की बैठकों में पार्टी ने जो होमवर्क सौंपा था उस पर अब तक अमल नहीं हो पाया। कार्यसमिति की बैठक के बाद इन संकल्पों को पार्टी ने स्वयं ही भुला दिया, चाहे मंत्रियों के एक दिन पार्टी दफ्तर में बैठने का निर्णय हो या फिर होर्डिंग-फूल मालाओं पर रोक लगाने की बात। मंत्रिमंडल के सदस्यों को कहा गया था कि सप्ताह में एक दिन पार्टी दफ्तर में बैठकर कार्यकर्ताओं से मिलकर उनकी शिकायतों और समस्याओं की सुनवाई करें। इस मुद्दे की बाद में किसी ने सुध नहीं ली, न तो मंत्री दफ्तर में बैठने पहुंचे और न ही पार्टी ने उन्हें याद दिलाया। इसी तरह मंत्री, विधायक एवं पदाधिकारियों के परफार्मेंस का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने की बात जोर-शोर से उठी, लेकिन इसका पालन भी नहीं हो पाया, आचार संहिता के मुद्दे पर हर कार्यसमिति की बैठकों में चर्चा और चिंता जताई जाती है, लेकिन पार्टी ने कार्यकर्ताओं को अब तक आचार संहिता व नियमों का ब्यौरा नहीं सौंपा। इस पर रामलाल ने असंतोष जताया और कहा कि कार्यसमिति में जो भी निर्णय होते हैं वह संगठन को मजबूत और बेहतर बनाने के लिए होते हैं अत: उनका पालन होना चाहिए। सचेत रहें, कहीं जीत कमजोरी न बन जाएं! भाजपा कार्यसमिति में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदस्यों को अपने कामकाज एवं बर्ताव को लेकर सतर्क रहने की नसीहत भी दी। खासतौर पर स्थानीय निकाय और पंचायतों में जीते प्रतिनिधियों के मूल्यांकन पर जोर दिया। उन्होंने चेताया कि सभी जगह भाजपा जीती है कहीं ऐसा न हो कि अगले चुनाव में यही हमारी कमजोरी बन जाएं। वह बोले कि अब हमारी चुनौतियां पहले से ज्यादा बढ़ गईं हैं। क्योंकि पार्षद, पंच, सरपंच से लेकर नगर निगमों में सभी जगह बीजेपी प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। पहले तो ओला-पाला की स्थिति में हम लोग केन्द्र के खिलाफ धरना देने बैठ जाते थे। लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं, हम यह भी नहीं कर सकते। हर बात के लिए जिम्मेदारी भी हमारी ही रहेगी। इसलिए अपने काम काज पर ध्यान दें। कुछ मंत्रियों की होगी छुट्टी प्रदेश कार्यसमिति से निकलकर आ रही खबरों की मानें तो मप्र में मंत्रिमंडल का विस्तार अगले माह तक होने की उम्मीद की जा रही है। भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मंत्रिमंडल विस्तार और निगम-मंडल में अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर विचार-विमर्श किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल का विस्तार परफार्मेंस के आधार पर करेंगे। ऐसे में परफार्मेंस की पटरी से उतरे मंत्रियों की छुट्टी के भी संकेत मिल रहे हैं। बताया जा रहा है कि अरूण जेटली, रामलाल और विनय सहस्त्रबुद्धे ने मुख्यमंत्री को मंत्रियों के लिए एक गाइड लाइन सौंपी है। इस गाइड लाइन के अनुसार ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाना है। इस गाइड लाइन में एक-एक मंत्री के परफार्मेंस की जानकारी दी गई है। इसके बाद से ही संकेत मिल रहे हैं कि कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक के बाद प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मंत्रिमंडल के विस्तार का संकेत पार्टी नेताओं को दिया है। मंत्रिमंडल में कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। संगठन के सुझाव के साथ वे अगले कुछ दिनों में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से चर्चा करेंगे। उन्होंने बताया कि अप्रैल महीने के अंतिम सप्ताह तक राष्ट्रीय अध्यक्ष की सहमति मिलने के बाद विस्तार की घोषणा कर दी जाएगी। हालांकि, इस बार महज चार से पांच नए चेहरों को ही मौका मिल पाएगा, जिसके लिए अर्चना चिटनीस, हर्ष सिंह, चौधरी चंद्रभान सिंह, नीना वर्मा, निर्मला भूरिया, जयभान सिंह पवैया, ओपी सकलेचा, विश्वास सारंग, जसवंत सिंह हाड़ा, केदारनाथ शुक्ला के नाम चर्चा में हैं। राज्यमंत्री दीपक जोशी व सुरेंद्र पटवा को कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है। अर्चना चिटनिस पहले मंत्री रह चुकीं हैं तो जयभान सिंह को लोकसभा चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया को तगडी टक्कर देने और चंद्रभान सिंह को कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ से टकराने का इनाम मिल सकता है। वहीं केदार शुक्ला को वरिष्ठता और विंध्य के जातीय समीकरणों के लिहाज से जगह दी जा सकती है। केदार शुक्ला का नाम विधानसभा अध्यक्ष के लिए भी दौड में शामिल रह चुका है। वहीं परफार्मेंस के आधार पर कई मंत्रियों के पर भी कतरे जा सकते हैं। लालबत्ती के लिए सीएम हाउस में मंथन बताया जाता है कि केंद्र से मिली नसीहतों के बाद मप्र के नेताओं ने निगम-मंडल, प्राधिकरणों और आयोगों में किन नेताओं को जिम्मेवारी दी जाए, इसे लेकर भाजपा के दिग्गज 9 अप्रैल को आधी रात तक मंथन करते रहे। मुख्यमंत्री निवास में आयोजित भोज के बाद लालबत्ती को लेकर शुरू हुई बैठक आधी रात तक चली। बैठक में करीब दो दर्जन से अधिक नामों पर विचार किया गया और कुछ नामों पर आम सहमति न बन पाने पर फैसला मुख्यमंत्री पर छोड़ दिया गया। भाजपा की रात आठ बजे तक चली प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, थावरचंद गेहलोत, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, संगठन महामंत्री रामलाल, प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन मुख्यमंत्री निवास पर इक_ा हुए। यहां आयोजित भोज के बाद संगठन के आला नेताओं ने लालबत्ती पर मंथन शुरू किया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का कहना था कि पार्टी का स्वरूप अब बेहद व्यापक हो चुका है लिहाजा इस बार नए चेहरों को मौका मिलना चाहिए। उनकी इस बात से लगभग सभी वरिष्ठ नेता सहमत थे। सूत्रों की माने तो जिन नेताओं को निगम मंडल में एडजस्ट करना है, उनके नामों के साथ उनकी प्रोफाइल पर भी बात हुई। इस बात पर भी विचार किया गया कि वे किस निगम में बेहतर काम कर सकते हैं। संगठन के एक पदाधिकारी का कहना था कि इस मामले में विलंब से बेवजह का असंतोष फैल रहा है। लिहाजा जो भी होना है, उस बारे में निर्णय जल्द होना चाहिए। यह भी तय किया गया कि जिन नेताओं के नाम फायनल होते हैं उन्हें संगठन की तरफ से संदेश दे दिया जाएगा और उनसे विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट न मांगने की अंडरटेकिंग भी ले ली जाएगी। इसके बाद अगले दिन ही प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के समाप्त होने के बाद पत्रकारों से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने संकेत दे दिए की निगम-मंडल में नियुक्तियां जल्द ही होंगी। शिव की समझाइश, तोमर के टिप्स और नंदु भैया की नसीहत भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में जहां अरूण जेटली, रामलाल और विनय सहस्त्रबुद्धे के कड़वे बोल पदाधिकारियों को सुनने को मिले, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समझाइश, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने टिप्स और प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने नसीहतें दीं। साथ ही प्रदेश कार्यसमिति के जरिए संगठन ने कार्यकर्ताओं को साल भर के कार्यक्रम सौंप दिए। इनमें तात्कालिक रूप से सबसे अहम सदस्यता अभियान पर जोर दिया गया। टॉरगेट पूरा करने में फिसड्डी रहे जिलों को समझाइश भी दी गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कार्यकर्ताओं से आगामी कार्यक्रमों के लिए अभी से जुट जाने का आह्वान किया। शिवराज की समझाइश...... -झाड़ू सफाई ही नहीं सामाजिक बदलाव का माध्यम बनेगी। सफाई हमारे स्वभाव में आना चाहिए। -भाजपा राजनीतिक दल ही नहीं वरन सामाजिक आंदोलन बनने की दिशा में। मोदी ने हमें दिशा दिखाई। -निकाय एवं पंचायत के प्रतिनिधियों को कामकाज संबंधी मिलेगी ट्रेनिंग। -हम जनता के विश्वास की कसौटी पर हम खरे उतरेंगे। -ओले से अन्न के दाने नहीं किसान की जिंदगी बिखरती है। -कांग्रेस के राज में किसान कभी एजेंडा में नहीं रहे। -पहले मुआवजा 500 रुपए प्रति हेक्टेयर था जो हमने 15 हजार रुपए कर दिया। तोमर के टिप्स.............. -भाजपा ऐसा दल जिसके कार्यकर्ता, नेता और सरकार के काम की बराबरी कोई राजनीतिक दल नहीं कर सकता। -सदस्यता अभियान में हमें ज्यादा से ज्यादा जन भागीदारी सुनिश्चित करना है। -कांग्रेस के पास नेता और नीयत की कमी, पूरे देश में वह समाप्ति की ओर अग्रसर। -कांग्रेस भ्रामक प्रचार और नकारात्मक बातें जनता के सामने रख सरकार की छबि धूमिल करने का प्रयास कर रही। -हमें कांग्रेस के हमलों का जवाब कठोरता से तथ्य और आंकड़ों के साथ देना है। नंदु भैया की नसीहतें.......... -सरकार के प्रयास और कार्यकर्ताओं के परिश्रम से पार्टी की विजय यात्रा और आगे बढ़ेगी। -कार्यसमिति के लक्ष्य और पार्टी के निर्धारित कार्यक्रम हमें मिलकर पूरा करना है। -पं.दीनदयाल उपाध्याय के विचारों से हमें ऊर्जा मिलती है। शताब्दी वर्ष में उनके विचार घर-घर तक पहुंचाएं। -आंबेडकर जयंती वर्ष में कौन-कौन से प्रकल्प और कार्यक्रम हों उसके लिए समिति का गठन होगा। -सत्ता और संगठन की एकजुटता को और अधिक मजबूती देना है। एक्टिव फॉर्म में आई भाजपा बताते हैं कि प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मिले संकेतों के बाद से ही भाजपा में इन दिनों प्रदेश से लेकर दिल्ली तक खासी सक्रियता का आलम है। मौजूदा दौर में जहां स्थानीय स्तर पर पार्टी के नेता लालबत्ती की जुगाड़ में जुटे हुए हैं, वहीं विधायक मंत्री बनने के लिए गणेश परिक्रमा कर रहे हैं। इनके अलावा सबसे सकिय मंत्री नजर आ रहे हैं। इसके पीछे वजह है मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना। दरअसल, संगठन एक बार फिर से मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करवा रहा है। मंत्रियों के विभाग का फैसला उनकी रेटिंग के अनुसार किया जाएगा। इस आधार पर कुछ मंत्रियों को बड़े विभागों की जिम्मेदारी दी जाएगी तो कुछ के विभाग बदले जा सकते हैं, वहीं खराब परफॉरमेंस वालों को मंत्रिमंडल से बाहर कर उनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड बनाने के लिए इंटेलीजेंस से मंत्रियों की रिपोर्ट मंगवाई है। इसमें यह भी देखा जा रहा है कि कितने मंत्रियों ने पिछले एक साल में विभाग के काम-काज पर कितना ध्यान दिया है। इसको लेकर मंत्री भी सजग हो गए हैं। उधर, प्रदेश इकाई में पदाधिकारियों की नियुक्ति के बाद अब करीब एक दर्जन जिलों में पार्टी की कमान नए नेताओं को सौंपने की कवायद शुरू हो गई है। इनमें कुछ जिलाध्यक्ष ऐसे भी हैं जो विधायक, महापौर या सांसद की भूमिका में आ गए हैं। बेंगलूरु में राष्ट्रीय कार्यसमिति के बाद पार्टी के संपर्क अभियान और अन्य कार्यक्रमों के संदर्भ में नए सक्रिय लोगों की तलाश शुरू हो गई है। प्रदेश में लगातार चुनावी माहौल के कारण पार्टी हाईकमान ने जिलों में बदलाव की प्रक्रिया कुछ महीनों के लिए आगे टाल दी थी लेकिन अब जिलों में पार्टी का कामकाज तेज करने नेतृत्व में बदलाव किए जाने के संभावना है। टारगेट पे टारगेट, बदले में लॉलीपॉप एक तरफ प्रदेश कार्यसमिति में वरिष्ठ नेताओं ने चाल, चेहरा और चरित्र की बात कर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को दायरे में रहने का डोज दिया, वहीं इनका कहना है हमें हर बार टारगेट पर टारगेट दिया जा रहा है और बदले में आश्वासन का लॉलीपॉप थमा दिया जाता है। कभी चुनाव, कभी संगठन विस्तार, तो कभी आए दिन होने वाले पार्टी के कार्यक्रम, इन सब में भीड़ जुटाना और दीगर व्यवस्थाएं करना। लंबे समय से कुछ यही हाल चल रहा है भाजपा कार्यकर्ताओं का। दरअसल पार्टी के कार्यकर्ताओं को आए दिन संगठनात्मक दृष्टि से नए-नए टारगेट देकर खफाया तो जा रहा है, लेकिन बदले में उसको मिल रहा है केवल और केवल इंतजार। ऐसे में हर बार मिलने वाले 'लॉलीपॉपÓ से अब भाजपाईयों में मायूसी छाने लगी है। निरंतर संगठनात्मक गतिविधियों के चलते कभी प्रदेश तो केंद्र सरकार के खिलाफ जंग छेडऩे के लिए सड़कों पर संघर्ष करती रही भाजपा के लिए ऐसा मौका पहली बार आया है, जब नगरनिगम से लेकर केन्द्र तक सत्ता में भाजपा का बोलबाला है। ऐसे में पार्टी को दम देने वाले कार्यकर्ताओं में भी सत्तासुख की लालसा जागना स्वाभाविक है। उधर सरकार में नुमाइंदगी करने वाले नेताओं को तो पार्षद, महापौर, नगरीय निकायों में अध्यक्ष वगैरह समेत विधायक, सांसद और मंत्री पदों की सुविधाएं मयस्सर है, लेकिन जो इस कतार में पिछड़ गए उनकी सुध लेने का नाम ही नहीं लिया जा रहा। लिहाजा उनके भीतर अब निराशा घर करने लगी है। गौरतलब है कि करीब डेढ़ साल पहले प्रदेश में विधानसभा चुनावों की आचार संहिता लागू होने से तमाम निगम, मंडल व प्राधिकरणों में काबिज नेताओं की रवानगी हो गई थी। दरअसल विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी लोकसभा और निकाय चुनावों तक किसी तरह के असंतोष को हवा नहीं देना चाहती थी, लिहाजा इन नियुक्तियों को बार-बार टाला गया। इसी क्रम में भाजपा के महासदस्यता अभियान में सभी का भरपूर उपयोग करने की मंशा से फिर निगम मंडलों को टाल दिया गया, जो अब तक अधर में ही हैं। लाल, पीली बत्तियों के अलावा संगठन में खाली पड़े पदों के लिए दावेदारों को निरंतर मायूसी ही मिलती रही है। बता दें कि यहां लम्बे समय से भाजपा की जिला कार्यकारिणी का मामला भी अटका पड़ा है। वहीं पार्टी की यूथ विंग भाजयुमो की जिला इकाई की घोषणा की राह में भी बार-बार रोड़े अटकते जा रहे हैं। इसी तरह नगरनिगम में भी भाजपा पार्षद दल के पदाधिकारियों समेत 6 लोगों को एल्डरमैन (वरिष्ठ पार्षद) के रूप में मनोनीत किए जाने का भी इंतजार है। चुनाव जीतने से बदल गई है कई जिलाध्यक्षों की भूमिका सांसद: मंदसौर में सुधीर गुप्ता और रीवा में जनार्दन मिश्रा लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं। महापौर: भोपाल में आलोक शर्मा और खंडवा में सुभाष कोठारी महापौर बन गए। विधायक: ग्वालियर ग्रामीण में भरत सिंह कुशवाह विधायक बन गए हैं। बैंक अध्यक्ष: नरसिंहपुर में कैलाश सोनी जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष बन गए हैं। किसान मोर्चा की कमान:पार्टी के किसान मोर्चा अध्यक्ष बंशीलाल गुर्जर को पार्टी के महामंत्री का दायित्व सौंप दिया गया है इसलिए यह पद भी रिक्त हो गया है। अब पार्टी में किसान मोर्चा की कमान किसे सौंपी जाए इसके लिए भी विचार मंथन का दौर शुरू हो गया है। ------------------

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