शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

बेटियों को खुद बचाएगी मध्य प्रदेश सरकार



विनोद उपाध्याय
मध्य प्रदेश में जब से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने हैं उन्होंने 'लाड़लीÓ को बचाने के लिए एक से बढ़कर एक अच्छी तरकीब तजवीज की है बावजूद इसके नतीजे अच्छे नहीं आ रहे हैं। इसलिए अब बेटियों को बचाने के लिए सरकार खुद मोर्चा संभालेगी। कन्यादान और लाड़ली लक्ष्मी योजना के बाद मुख्यमंत्री जनगणना 2011 के नतीजे आने के बाद अब बेटी बचाने के लिए नए सिरे से अभियान छेडऩे वाले हैं। गांव-गांव में बेटियों के मामा बनने के बाद मुख्यमंत्री बेटियों की तादाद बढ़ाने के लिए जनजागरण छेडऩा चाहते। प्रदेश भर में यह अभियान पांच अक्टूबर से शुरू होगा। आगामी दशहरे के बाद मुख्यमंत्री स्वयं सड़क मार्ग से क्षेत्रों का भ्रमण कर नागरिकों में बेटियों की रक्षा के लिए जन-जागृति अभियान चलाएंगे। यह देश में सामाजिक विषयों पर सरकार द्वारा प्रारंभ की जा रही अपने तरह की अनूठी पहल होगी।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में लगातार लिंग अनुपात गिरता जा रहा है जिसके लिए सरकार द्वारा निरंतर चिंता जतायी जा रही थी। प्रदेश में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या सन 1991 में 941 , 2001 में 932 और साल 2011 में 912 रह गई है। इस चिंतनीय विषय को शिवराज सरकार ने गंभीरता से लिया है। इसके लिए सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव की अगुआई में एक कैबिनेट सब कमेटी बनाई गई है। कमेटी के एक सदस्य के अनुसार बेटी बचाओ अभियान के दौरान प्रत्येक मंत्री को अपने गृह और प्रभार के जिले में इस अभियान को प्रभावी संचालन की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। मुख्यमंत्री अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों में कन्या पूजन करेंगे और मंत्रियों को भी ऐसा करने को कहा जाएगा। सब कमेटी में गोपाल भार्गव, अर्चना चिटनीस, नरोत्तम मिश्रा, उमाशंकर गुप्ता, लक्ष्मीकांत शर्मा, रंजना बघेल शामिल हैं। इस कैबिनेट सब कमेटी ने काम भी करना शुरू कर दिया है।
कैबिनेट सब कमेटी ने अपने अभियान के लिए एक खाका भी तैयार किया है। जिसमें प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों में शिशु लिंग अनुपात को दर्शाया गया है, साथ ही उसमें यह भी बताया गया है कि प्रदेश के किन-किन जिलों में लिंगानुपात कितना-कितना है। गर्भधारण से पहले और जन्म से पहले निदान तकनीक अधिनियम 1994, गर्भधारण से पहले और बाद लिंग के चयन को प्रतिबंधित करता है। इसका उद्देश्य अल्ट्रासाउण्ड जैसी तकनीक का ऐसी स्थितियों में दुरुपयोग रोकना है, जहां लड़कियों को समाप्त करने के विशेष उद्देश्य से भ्रूण के लिंग के बारे में सूचनाएं प्राप्त की जाती हैं। गैर-चिकित्सीय कारणों से भ्रूण का लिंग परीक्षण करना गैर-कानूनी है। पहली बार अपराध साबित होने पर कानून में 3 साल तक के कारावास और 10,000 रूपए तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके क्रियान्वन में कानून के सामने कठिनाइयां आती हैं, और अभी तक कुछ को ही अपराधी सिद्ध किया जा सका है। भू्रण हत्या के मामले में तरह-तरह की विसंगतियां हैं जिसके कारण इसको अपराध साबित करना कठिन हो जाता है, क्योंकि यह चिकित्सा सेवा देने वालों और अभिभावकों के बीच मौन सहमति से बंद दरवाजों के पीछे होता है।
जहां तक मध्य प्रदेश का सवाल है तो कैबिनेट सब कमेटी की बैठक में बेटी बचाओ अभियान पर जो प्रजेन्टेशन दिया गया है उसके अनुसार प्रदेश में पीसी एण्ड पीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत भ्रूण लिंग परीक्षण एवं कन्या भ्रूण हत्या में संलिप्त सेवा प्रदाताओं की सूचना देने वाले को उस प्रकरण में चालान प्रस्तुत होने पर 25,000 रुपए, चार्जेज फ्रेम होने पर 25,000 रुपए एवं प्रकरण में दोषी को सजा होने पर 50,000 रुपए की राशि यानी कुल 100,000 रुपए की राशि देने का प्रावधान है।
राज्य सरकार द्वारा चलाए जाने वाले बेटी बचाओ अभियान में भाजपा भी सक्रिय भागीदारी करेगी। इसके लिए पार्टी गांव-गांव तक इस अभियान को लेकर अलख जगाएगी। इसके साथ ही सरकार ने अपनी नीतियों ओर रीतियों पर निगरानी रखने के लिए समय समय पर इंपैक्ट अध्ययन कराने का भी निर्णय लिया है, ताकि विभिन्न योजनाओं की दिशा और दशा का समय रहते पता चल सके। मुख्यमंत्री श्री चौहान का कहना है कि स्त्री-पुरूष अनुपात में गिरावट अत्यंत चिंताजनक है। पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या में कमी अनेक सामाजिक समस्याओं का कारण होती है। इसलिये यह जरूरी है कि समय रहते इस विषय पर जन मानस को विकसित किया जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री, मंत्री और निजी निगमों द्वारा आंगनवाडिय़ों को गोद देने के लिए अभियान चलाने के निर्देश दिए।
इसके साथ ही सरकार ने अपनी नीतियों ओर रीतियों पर निगरानी रखने समय समय पर इंपैक्ट अध्यान कराने का भी निर्णय लिया है। ताकि विभिन्न योजनाओं की दिशा और दशा का समय रहते पता चल सके। मुख्यमंत्री श्री चौहान का कहना है कि स्त्री-पुरूष अनुपात में गिरावट अत्यंत चिंताजनक है। पुरूषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या में कमी अनेक सामाजिक समस्याओं का कारण होती है। इसलिये यह जरूरी है कि समय रहते इस विषय पर जन मानस को विकसित किया जाए। श्री चौहान ने कहा कि बालिका बचाओ अभियान के तहत जन-जागृति के सभी आवश्यक कार्य किए जाए।
वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा ने बिटिया बचाओ अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समाज के सभी वर्ग का आव्हान किया है कि वे सामाजिक सरोकार से जुड़े शिवराज सरकार के इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दें। वे कहते हैं कि भारत में राजनीति सभी दल करते हैं, करना भी चाहिए, लेकिन राजनीति के माध्यम से सामाजिक और रचनात्मक काम करना आज सपना सा हो गया है। इस सपने को साकार करने की पहल भाजपा और उसकी सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की है। नारी को सृष्टि कहा गया है। वो निर्मात्री है, जननी है और इसे जगत ने स्वीकार किया है। लिंगानुपात में यदि नारी की संख्या कम हो जाए तो सृष्टि का चलना असंभव हो जाएगा। सरकारें आएंगी और जाएंगी, लेकिन आने वाली पीढ़ी नेताओं और नेतृत्वकर्ताओं से यह सवाल पूछेगी कि तुमने हमारे भविष्य के लिए क्या किया? क्या चार हजार नौजवान लड़के इस कारण से कुंवारे रहें कि लड़कियों की संख्या कम हो गई है? क्या यह किसी सरकार के लिए काला अध्याय नहीं होगा और जब सरकार इसे समझ ले और उसके बाद उसे श्वेत अध्याय में प्रारंभ न करे तो क्या यह राष्ट्रीय अपराध नहीं कहलाएगा? हमारा दायित्व है कि समाज और सरकार के बीच ऐतिहासिक संबंध होना चाहिए। समाज सरकार का निर्माण करता है, सरकार से समाज का निर्माण नहीं होता। सरकार की श्रेष्ठता से समाज में सरकार की स्वीकार्यता बढ़ती है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में बालिका विकास के लिए 70 हजार आंगनवाड़ी काम कर रही हैं। महीने के पहले मंगलवार को गोद भराई होती है जिसमें गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोलियां और सेहत दुरुस्त रखने की सलाह दी जाती है। दूसरे मंगलवार को अन्नप्राशन होता है जिसमें बेटी के 6 महीने पूरे होने पर पहली बार खाना खिलाया जाता है। इसके बाद तीसरे मंगलवार को बेटी का जन्मदिन मनाया जाता है और महीने के आखिरी मंगलवार को किशोरी बालिका दिवस जिसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लड़कियों को सेहत औऱ पढ़ाई-लिखाई के गुर सिखाती हैं।
राज्य में बेटियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। बिटिया को लखपति बनाने के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई गई है। मध्य प्रदेश में सरकारी योजनाओं में महिलाओं के लिए अलग से बजट है। लड़कियों को बचाने के लिए सरकार ने स्टिंग ऑपरेशन को भी वैध करार दिया है और भ्रूण हत्या की सूचना देने पर एक लाख रुपए इनाम देने की भी घोषणा की है। इसमें कोई शक नहीं कि सरकार ने लड़कियों को बचाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं लेकिन जब तक भ्रूण हत्याओं पर पूरी तरह से रोक नहीं लगेगी तब सरकार का यह मिशन अधूरा ही रहेगा। इस बात को सरकार ने नजदीक से महसूस किया है और जो क्रांतिकारी कदम उठाया है उसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। सरकार का यह प्रयास तब तक सफल नहीं हो पाएगा जब तक हर एक व्यक्ति इस अभियान में अपना सहयोग नहीं देता है।

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